Stockholm Ghost Trains: दुनिया में कई रहस्यमयी जगहें हैं। इनमें कई जगहों को भूतों से जोड़ा जाता है। भूतों को लेकर लोगों की अलग-अलग राय है। कई लोग भूत-प्रेतों पर यकीन करते हैं। दुनिया के अलग-अलग देशों की संस्कृतियों में आत्माओं और मृत्यु के साथ ही दूसरी दुनिया में रहने वाले लोगों पर यकीन किया जाता है। भूतों पर यकीन करना दुनिया में सबसे ज्यादा मानी जाने वाली पैरानॉर्मल एक्टिविटी में से एक है। बहुत लोगों को भूतों की कहानियां पढ़ना और भूतों पर बनी फिल्में देखना पसंद है।
कई लोग मानते हैं कि जिस प्रकार भगवान होते हैं, उसी तरह भूत प्रेत भी होते हैं। भूत-प्रेत के होने के कोई सबूत नहीं हैं, लेकिन इनके होने के दाव किए जाते हैं। ऐसे कई मामले सामने आते हैं, लेकिन इनकी व्याख्या नहीं की जा सकती है। दुनिया में कई हैरान करने वाली घटनाएं होती हैं। कभी-कभी कुछ ऐसा होता है जिस पर यकीन नहीं होता है।
दुनिया में कई जगहों पर जाने के बाद कई लोगों ने दावा किया है कि उन्हें वहां पर उन्होंने महसूस हुआ है कि उनके आसपास भूतों की तरह कुछ मौजूद है। स्वीडन में भी इसी तरह की एक जगह है। स्वीडन में एक रेलवे स्टेशन है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां भूतों से भरी हुई ट्रेन आती है। कहा जाता है कि इस स्टेशन पर सिर्फ भूतों का राज है। इस जगह के बारे में जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्वीडन की राजधानी स्टॉकहॉम में किमलिंज मेट्रो स्टेशन स्थित है। शहर के आम लोगों की कहानियों में इस स्टेशन को भूतिहा बताया जाता है। आखिर सच क्या है? यह कोई सही नहीं बताता है, लेकिन मान्यातओं में यहां के लोग डरते हैं। इसकी वजह से यह स्टेशन आजतक पूरी नहीं बना है। माना जाता है कि सालों पहले इस स्टेशन को बनाया जा रहा था, तो यहां पर काम करने वाले मजदूर रातों-रात भाग गए थे।
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क्या लोगों में फैली अफवाह?
1960 के दशक में स्टॉकहोम मेट्रो को 8 ट्रेनों का तोहफा मिला था। यह ट्रेनें अल्युमीनियम से पूरी तरह बनी थीं। जब ट्रेनों को स्टेशन पर लाया गया, तो स्टॉकहोम की दूसरी ट्रेनों की तरह कोच की तरह हरे रंग में नहीं रंगा गया। यह स्वीडन में आम बात है। प्रशासन ने दूसरे कोचों से अलग दिखने के लिए सिल्वर रंग से रंगा था। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि इन्हें लेकर धीरे-धीरे अफवाह फैल जाएगी। अफवाह फैल गई कि यह ट्रेनें रात में अपने आप चलती है। दूसरी ट्रेनों पर लोग पेंटिंग कर देते और पोस्टर चिपका देते थे, लेकिन सिल्वर एरो ट्रेनें पर कोई दाग नहीं होता था। लोग मानते थे कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि इन ट्रेनों का भूत इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग मानते थे कि ट्रेन पर कोई जीवित व्यक्ति चढ़ गया, तो नीचे उसका भूत उतरेगा।
क्या थी सच्चाई?
प्रशासन ने लोगों को स्टेशन और ट्रेन के बारे में कई बार जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्टेशन खाली नहीं होता था, सिर्फ उसके निर्माण कार्य पर रोक लगी थी। वजह यह थी कि स्टेशन जंगलों के बीच स्थित था और प्रशासन ने उसके आसपास की प्राकृतिक खूबसूरती को खत्म नहीं करना चाहता। इसके साथ ही उन्होंने सोचा था कि इससे पता चल जाएगा कि यात्रियों को रंगीन ट्रेनों या फिर सादे रंग की ट्रेनों पर चलना पसंद है। इसके अलावा पेंट न करने की वजह से उनके काफी रुपये बच रहे थे।